वर्षों बाद माँ चैन की नींद (chain ki neend ) सोने लगी है,
चर्चा थोड़ी -थोडी अब होने लगी है,
अंधेरा काली रातों का अब ढलने लगा है,
लोग बोलते हैं माँ को ,
अब तेरी तपस्या का फल मिलने लगा है,
* * * * *
माँ ने हार नहीं मानी जीवन में
वो अकेले ही लडती रही हालातों के साथ,
घर को एक पिता के जैसे संभाला है,
जब से हमारे सर से उठ गया था पिता का हाथ,
हालातों से लड़ते-लड़ते माँ का स्वभाव,
थोड़ा कठोर -सा हो गया है,
ये मेरी माँ की कड़ी मेहनत का ही नतीजा है,
आज हमारे घर में खुशियों का उजाला,
सब ओर हो गया है,
वक्त धीरे-धीरे ही सही पर बदलने लगा है,
वर्षों बाद माँ चैन की नींद (chain ki neend ) सोने लगी है,
चर्चा थोड़ी -थोडी अब होने लगी है,
अंधेरा काली रातों का अब ढलने लगा है,
लोग बोलते हैं माँ को ,
अब तेरी तपस्या का फल मिलने लगा है,
* * * * *
वो अमृत वेले में उठकर
उस ईश्वर का करती है हर रोज शुक्रीया,
जितने की मैं हकदार थी,
हे ईश्वर तुम ने उससे बढ़कर दिया,
बच्चों में है संस्कार,घर में है प्यार,
मुझे और भला क्या चाहिए,
तेरी कृपा का है हाथ हम पर,
खुशियां बरस रही है अब जमकर,
अंधकार के बादलों को चीरकर,
खुशियों का सूरज अब निकलने लगा है,
वर्षों बाद माँ चैन की नींद (chain ki neend ) सोने लगी है,
चर्चा थोड़ी -थोडी अब होने लगी है,
अंधेरा काली रातों का अब ढलने लगा है,
लोग बोलते हैं माँ को ,
अब तेरी तपस्या का फल मिलने लगा है,
* * * * *
उस ईश्वर ने दिखाई है ,
पग-पग पर उजाले की किरण,
बुरा वक्त भी होता है कोई पुराना ऋण,
ये मेरी माँ का कहना है,
लकीरें किस्मत की हम बदल नहीं सकते हैं,
एक ठोकर खाने से हम कहाँ रूकते हैं,
जहाँ रखता है वो ईश्वर हम सबको वहीं रहना है,
सब्र का फल मीठा होता है,
देर-सवेर मिलता जरूर है,
अब तक रखा है हाथ पकड़कर,
हे ईश्वर आपका शुक्र है,
आपकी कृपा से सिक्का हमारा अब चलने लगा है,
वर्षों बाद माँ चैन की नींद (chain ki neend ) सोने लगी है,
चर्चा थोड़ी -थोडी अब होने लगी है,
अंधेरा काली रातों का अब ढलने लगा है,
लोग बोलते हैं माँ को ,
अब तेरी तपस्या का फल मिलने लगा है,
* * * * *चैन की नींद (chain ki neend ) की शुरुआत : तपस्या की मिठास
माँ ने निभाएं है वो फर्ज सारे,
जो एक पिता निभाता है,
माँ ने जताया है हद से ज्यादा प्यार,
जो एक पिता जताता है,
हर तपस्या का फल मिलता है,
हर समस्या का हल मिलता है,
लेकिन कांटों भरे समंदर से गुज़रने के बाद,
दिल में एक विश्वास जगा है,
विश्वास हर पल बढ़ने लगा है,
वर्षों बाद माँ चैन की नींद (chain ki neend ) सोने लगी है,
चर्चा थोड़ी -थोडी अब होने लगी है,
अंधेरा काली रातों का अब ढलने लगा है,
लोग बोलते हैं माँ को ,
अब तेरी तपस्या का फल मिलने लगा है,
* * * * *
माँ यहाँ तक तुम लेकर आई हो,
जीवन की नांव हमारी,
अब उठाएंगे हम अपने काँधों पर जिम्मेदारी,
अब हमारे साथ चलेंगी तुम्हारी प्रार्थनाएं,
तुम्हारी प्रार्थनाएं हमारे राहों की,
सब बाधाएं हटाएं,
अब तुम थोड़ा विश्राम करो,
उस ईश्वर का हर रोज ध्यान करो,
माँ तुम्हारी प्रार्थनाओं की शक्ति से,
मेरे जीवन में सफलता शोर मचाने लगी है,
वर्षों बाद माँ चैन की नींद (chain ki neend ) सोने लगी है,
चर्चा थोड़ी -थोडी अब होने लगी है,
अंधेरा काली रातों का अब ढलने लगा है,
लोग बोलते हैं माँ को ,
अब तेरी तपस्या का फल मिलने लगा है,
* * * * *
माँ ये तुम्हारे विश्वास की जीत है,
समंदर की शोर मचाती लहरें,
अब शांत पड़ने लगी है,
सूरज की किरणें हमारे आंगन में,
अब चारों ओर बिखरने लगी हैं,
कभी तेज धूप कभी घनी छाँव,
ये जीवन की रीत है,
मुझे खुद से ज्यादा तुम्हारी परवाह है,
ये जो तुम्हारी मोहब्बत बेपनाह है,
उस के लिए तुम्हारा शुक्रिया,
मात-पिता का प्यार जो तुम ने दिया,
तुम्हारा प्यार मेरी शक्ति बनने लगा है,
वर्षों बाद माँ चैन की नींद (chain ki neend ) सोने लगी है,
चर्चा थोड़ी -थोडी अब होने लगी है,
अंधेरा काली रातों का अब ढलने लगा है,
लोग बोलते हैं माँ को ,
अब तेरी तपस्या का फल मिलने लगा है,
* * * * *
creater-राम सैणी
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